अभी-अभी: चीन में तबाही मचाने के लिए 400 भारतीय जवान बुलडोजर लेकर घुसे, चीनी सैनिकों में मचा हडकंप.. देखें...
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नई
दिल्ली: भूटान के डोकलाम को लेकर
भारत और चीन के बीच अब जंग के पूरे आसार नज़र आने लगे हैं। महीनों से जारी इस
विवाद में अभी तक कमी के कोई संकेत नहीं मिले हैं। डोकलाम अब भूटान नहीं बल्कि,
भारत और चीन के लिए नाक का सवाल बन गया है। Indian troops
entered in china. इसी बीच बुधवार को चीन ने भारत पर निशाना साधते
हुए 15 पन्नों का एक बयान जारी किया aहै, जिसमें
भारत-चीन-भूटान ट्राई जंक्शन डोकलाम से “तत्काल” और “बिना शर्त वापसी” की मांगी
की गई है।
चीनी
सीमा में घुसे थे 400 भारतीय जवान:
चीन के विदेश
मंत्रालय ने यह कहकर भारत को चौका दिया है कि, कुछ दिन
पहले भारत के करीब 400 सैनिक चीनी सीमा में 180 मीटर तक अंदर घुस आये थे। इन
सैनिकों के साथ कई बुलडोजर भी थें। चीन ने दावा किया कि जुलाई के अंत तक भारतीय
सेना की 40 टुकड़ियां और बुलडोजर चीनी सीमा में मौजूद थे। विदेश मंत्रालय का ये भी
कहना है कि इस घटना के बाद भारत ने अपने गैर-कानूनी कदम को सही ठहराने के लिए कई
कहानियां गढ़ी हैं, लेकिन भारत के ऐसे दावों का कोई वास्तविक
आधार नहीं है।
चीन
ने कहा : डोकलाम हमारा हिस्सा:
दरअसल, साल 1890 में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत और चीन के बीच एक करार हुआ था,
जिसके मुताबिक, डोकलाम एरिया को चीन का हिस्सा
माना गया था। भारत की आजादी के बाद भी दोनों देशों के बीच यह करार जारी रहा। चीन
ने कहा है कि डोकलाम में रोड बनाना हमारा हक है। इससे स्थानिय परिवहन को बेहतर
किया जा सकता है। चीन ने सड़क बनाने के लिए सीमा का उल्लंघन नहीं किया है।
क्या
है डोकलाम विवाद की असल वजह:
चीन और भारते के बीच
डोकलाम को लेकर विवाद की असल वजह सिक्किम का इतिहास है। जिसके मुताबिक फुन्त्सोंग
नाम्ग्याल को सिक्किम का पहला चोग्याल (राजा) घोषित किये जाने के बाद सिक्किम का
वजूद सन् 1642 में सामने आया। नाम्ग्याल राजवंश ने 333 सालों तक सिक्किम पर राज
किया। आजादी के बाद भारतीय सेना ने सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में 6 अप्रैल, 1975 को सिक्किम पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 15 मई, 1975
को सिक्किम का भारत में विलय हो गया।
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