Header Ads

VIDEO: अभी-अभी मोदी का ईशारा मिलते ही ट्रम्प ने गिराया चीन पर परमाणु बम, देखिये चीन में तबाही का मंजर...

loading...
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच काफी समय से चल रही तनातनी को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को करीब से जानने वाले विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है अगर भारत और चीन के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है तो अमेरिका भारत के समर्थन में आगे आ सकता है.

मीडिया सूत्रों के मुताबिक वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज के सीनियर फेलो जैक कूपर ने कहा कि, "मुझे नहीं लगता कि अमेरिका, भारत और चीन के बीच चल रहे बॉर्डर विवाद में दखल देने की कोशिश करेगा, लेकिन मुझे यह जरूर लगता है कि चीन और भारत के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते अमेरिका के साथ भारत के सुरक्षा संबंध और मजबूत होंगे." कपूर के अनुसार चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ भारत का समर्थन करके अमेरिका एक संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इन दोनों की देशों के बीच में एक अहम भूमिका अदा कर सकता है. उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि, "चीन अगर भारत के खिलाफ अपने दावों पर कायम रहता है, तो एक तरह से वह चीन-विरोधी गठबंधन के बनने का रास्ता साफ करेगा. ऐसे में मुझे लगता है कि चीन समझदारी दिखाते हुए मौजूदा संकट को खत्म करने की दिशा में काम करेगा और किसी भी हिंसक रास्ते से बचना चाहेगा." दरअसल, डोकलाम सीमा विवाद पर बौखलाए चीन की सेना और सरकार ने भारत पर अपनी धमकियों का दौर जारी रखा हुआ है.

चीनी सेना के प्रवक्ता ने सोमवार को भारतीय सेना को फिर धमकी दी और कहा कि अगर वे डोकलाम से पीछे नहीं हटती तो इसका अंजाम बेहद खतरनाक होगा. उन्होंने कहा कि ये हमारी पहली मांग है कि भारत डोकलाम से पहले अपनी सेना हटाए, क्योंकि हल उसी के बाद निकल पाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि पर्वत को हिला देना आसान होगा, पर चीन की पिपुल लिब्रेशन आर्मी को हिलाना आसान नहीं है. प्रवक्ता ने कहा कि बॉर्डर की शांति पर ही पूरे राष्ट्र की शांति टिकी हुई है. बता दें कि चीन की ओर से सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई जंक्शन पर अपना हक जमाने के बाद ही ये विवाद गरमाया हुआ है.

वहीँ रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व सीनेटर लैरी प्रेस्‍लर ने सुझाव दिया है कि America को भारतीय Navy को Nuclear हथियार संपन्न करवा कर China को एक कड़ा संदेश देना चाहिए और साथ ही उसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने दादागिरी वाले रुख से पीछे हटने के लिए मजबूर करना चाहिए।

वर्ष 1979-96 तक सीनेट में दक्षिण डकोटा का प्रतिनिधित्व करने वाले लैरी प्रेस्लर ने अपनी नई किताब 'नेबर्स इन आर्म्स: ऐन अमेरिकन सीनेटर क्वेस्ट फॉर डिस्आर्मेंट इन ए न्यूक्लियर सबकॉन्टिनेंट' में भारतीय नौसेना की परमाणु क्षमता का निर्माण करने का सुझाव दिया है।

प्रेस्लर दो बार वियतनाम में युद्धक जिम्मेदारी निभाने के लिए तैनात किए गए थे और वियतनाम युद्ध में शामिल पहले सैन्य अधिकारी हैं जो सीनेटर चुने गए। किताब में उन्होंने लिखा कि फिलीपीन और वियतनाम के करीब विवादित दक्षिण चीन सागर के स्प्राटल द्वीप समूह में चीनी नौसेना अमेरिकी नौसेना के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए है। यह द्वीप-समूह महत्वपूर्ण वायु एवं समुद्री मार्गों के बीच स्थित है।


चीन फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताईवान के साथ क्षेत्र को लेकर विवाद में उलझा है। प्रेस्लर ने कहा कि रणनीतिक महत्व के दक्षिण चीन सागर के समुद्री मार्गों तक आसान पहुंच अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं यात्रा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, 'इसके अतिरिक्त, वहां तेल और गैस के भंडार हैं। हम सचमुच चीन के साथ कोई नौसेनिक युद्ध नहीं चाहते। स्पार्टली द्वीप-समूह जैसे स्थान की रक्षा करना महंगा होगा।' प्रेस्लर ने किताब में कहा, 'लेकिन हम भारतीय नौसेना को मजबूत कर चीन को एक कड़ा संदेश भेज सकते हैं। परमाणु हथियार दागने में सक्षम भारतीय नौसेना चीन को बहुत चिंतित कर सकती है। वास्तव में, अगर हम भारतीय नौसेना को परमाणु हथियार संपन्न बनाएं तो चीन अपने वैमनस्यपूर्ण रुख से पीछे हट सकता है।''

No comments

Powered by Blogger.