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अभी-अभी : सरकार ने चीन से आयात पर रोक लगाने से चीन में मचा हडकंप, मोदी बोले- भारत में अब कोई नहीं खरीदेगा चीनी सामान

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नई दिल्ली: बॉर्डर पर आंख दिखा रहे चीन को भारत ने बड़ा झटका दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीनी सामान के आयात पर रोक लगा दी है। दरअसल रिलायंस ग्रुप ने चीनी धागे के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने बैठक में फैसला लिया कि चीन से आयात रोक दिया जाए। अब चीन से धागा आयात नहीं होगा।

साथ ही केंद्र सरकार ने चीन से आयात के मामले में मिली कुछ शिकायतों के बाद डंपिंग रोधी जांच शुरू कर दी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज और एसआरएफ लि. कंपनी की ओर से चीन से आ रहे कुछ खास किस्म के धागे के आयात के मामले में केंद्र सरकार से गड़बड़ी की शिकायत की थी। दोनों कंपनियों की शिकायत के बाद केंद्र ने यह जांच शुरू की है।

जानकारी के मुताबिक, वाणिज्य विभाग की एक अधिसूचना में कहा गया है कि डंपिंग रोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी) के पास हाई टेनेसिटी पॉलीस्टर धागे की चीन से डंपिंग को लेकर पर्याप्त साक्ष्य हैं। डीजीएडी ने एक अधिसूचना में कथित डंपिंग और उससे घरेलू उद्योग को नुकसान को लेकर जांच शुरू की है। जांच में अप्रैल 2016 से इस साल मार्च तक की अवधि तक के आयात को शामिल किया जाएगा।

अगर डंपिंग से घरेलू कंपनियों को नुकसान की बात साबित होती है तो डीजीएडी डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा। यह शुल्क घरेलू कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए दिया जाता है।
वहीं, चीन से बातचीत के लिए 26-27 जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल बीजिंग पहुंच रहे हैं। इसमें भी अभी पांच दिन ही बचे हुए हैं।

चीनी अधिकारी दबाव में हैं और उन्हें जल्द ही कुछ रास्ता निकालना होगा। वो कोई कार्रवाई करने से पहले डोभाल के दौरे को आज़मा लेना चाहते हैं।

बीते गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत के साथ बातचीत के कूटनीतिक रास्ते खुले हुए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने इस बात की पुष्टि की कि 'पांच सप्ताह पहले सिक्किम के पास शुरू हुए सैन्य तनाव को हल करने के लिए दोनों देशों के राजयनिक बातचीत कर रहे हैं।

हालांकि उनका इस बात पर ज़ोर था कि, "दोनों देशों के बीच किसी भी अर्थपूर्ण बातचीत और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए भारत की ओर से अपनी सेना को हटाना पहली शर्त है."


एक तरफ़ अनौपचारिक बातचीत पर राज़ी होने और दूसरी तरफ़ 'अर्थपूर्ण बातचीत' के जुमले के पीछे क्या चीनी अधिकारी कुछ छिपा रहे हैं? अगर हां, तो डोभाल के पास बीजिंग में किसी सहमति तक पहुंचने का मौका है।

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